जैन दर्शन में ज्ञान मीमांसा | Jain Darshan Mein Gyan Meemansa के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जैन दर्शन में ज्ञान मीमांसा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Muni Nathmal | Muni Nathmal की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Muni Nathmal | इस पुस्तक का कुल साइज 19.3 MB है | पुस्तक में कुल 96 पृष्ठ हैं |नीचे जैन दर्शन में ज्ञान मीमांसा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैन दर्शन में ज्ञान मीमांसा पुस्तक की श्रेणियां हैं : jain
Name of the Book is : Jain Darshan Mein Gyan Meemansa | This Book is written by Muni Nathmal | To Read and Download More Books written by Muni Nathmal in Hindi, Please Click : Muni Nathmal | The size of this book is 19.3 MB | This Book has 96 Pages | The Download link of the book "Jain Darshan Mein Gyan Meemansa" is given above, you can downlaod Jain Darshan Mein Gyan Meemansa from the above link for free | Jain Darshan Mein Gyan Meemansa is posted under following categories jain |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
जो आत्मा है, वह जानता है। जो जानता है, वह आत्मा है। आत्मा और अनात्मा में अत्यन्ताभाव है। आत्मा कभी अनात्मा नहीं बनता और अनात्मा कभी आत्मा नहीं बनता। आत्मा भी द्रव्य है और अनात्मा भी द्रव्य है। दोनों अनंतगुन और पर्यायों के अविच्छिन्न-समुदय है। सामान्य गुण से दोनों अभिन्न भी है। वे भिन्न है विशेष गुण से