जैसे ओस कहानी : सुरेश कुमार | Jaise Os Kahani : Suresh Kumar

जैसे ओस कहानी : सुरेश कुमार | Jaise Os Kahani : Suresh Kumar

जैसे ओस कहानी : सुरेश कुमार | Jaise Os Kahani : Suresh Kumar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जैसे ओस है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Suresh kumar | Suresh kumar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.2 MB है | पुस्तक में कुल 62 पृष्ठ हैं |नीचे जैसे ओस का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैसे ओस पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry

Name of the Book is : Jaise Os | This Book is written by Suresh kumar | To Read and Download More Books written by Suresh kumar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.2 MB | This Book has 62 Pages | The Download link of the book "Jaise Os" is given above, you can downlaod Jaise Os from the above link for free | Jaise Os is posted under following categories Poetry |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 1.2 MB
कुल पृष्ठ : 62

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

प्राक्कथन
सत्रहवीं शताब्दी में जापान में आवन्त हाइक एक महत्वपूर्ण काय विधा के रूप में मान्यता प्राप्त है। संसार की प्रायः सभी भाषाओं में हाइक निचे गये हैं और लिखे जा रहे हैं। हिन्दी में भी अनेक कवियों ने हाक रचनाएँ प्रस्तुत की हैं। लेकिन हिन्दी में इम विधा को अपेक्षित लोकप्रियता प्राप्त नहीं हो सकी। पाँच, सात और पाँच अक्षरों के कम से तीन पक्तियों वाली सत्रह अक्षरी हाइक रचना अपेक्षाकृत अधिक मानसिक धम और कुशलता की माँग करती हैं। आवश्यक रचना विधान का निर्वाह करते हुए किमी भाव वा विचार को अभिव्यक्ति देना और प्रयुक्त शब्दों की आंतरिक लयबद्धता के साथ-साथ उसमें एक संगीतात्मक प्रभाव पैदा करना, जो कि किसी भी श्रेष्ठ कविता का एक प्रमुख गुण है कवि के काव्य कौशल पर निर्भर करता है। छन्द का अनुशासन तोड़ने वाले कुछ नये कवियों ने हाइक के अनुशासन का निर्वाह करने की कोशिश तो की लेकिन अनेक दृष्टियों ने उन्हें यह क्षेत्र संभवतः हिन्दी और संस्कृत के परम्परागत छन्दों से भी अधिक दुःसाध्य प्रतीत हुआ यद्यपि कुछ अच्छी रचनाएँ भी मामन र
जापानी हा कविता मुख्य रूप से जैन साधकों की अभिव्यक्ति का माध्यम रहीं हैं। इसीलिए उसमें दार्शनिकता की झलक अधिक दिखाई देती है। इस रचना विधान के माध्यम से जीवन की विविध अनुभतियों को साका अभिव्यक्ति प्रदान की हो सकती है, इसे भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता। प्रस्तुत संग्रह जैसे ओस कहानी में हाइक काप बिधा की छप्पन रचनाएँ संग्रहीत हैं। जिनमें जीवन के विभिन्न क्षणों की अनुभूतियों को अभिव्यक्ति देने की कोशिश की गई है। एरम्परागत हाइव रचनाओं से इनका वात बोध भिन्न हो सकता है। प्रयास कहाँ तक सफल हुआ है, इममा निर्णय तो गधी समोदक और पाठ्क ही करेंगे।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *