कूर्म पुराण | Koorma ( Kurma ) Puran

कूर्म पुराण हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड | Koorma ( Kurma ) Puran Hindi PDF Download |

कूर्म पुराण हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड | Koorma ( Kurma ) Puran Hindi PDF Download | के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कूर्म पुराण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.96 MB है | पुस्तक में कुल 410 पृष्ठ हैं |नीचे कूर्म पुराण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कूर्म पुराण पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu, Uncategorized

Name of the Book is : Koorma ( Kurma ) Puran | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 7.96 MB | This Book has 410 Pages | The Download link of the book "Koorma ( Kurma ) Puran" is given above, you can downlaod Koorma ( Kurma ) Puran from the above link for free | Koorma ( Kurma ) Puran is posted under following categories dharm, hindu, Uncategorized |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 7.96 MB
कुल पृष्ठ : 410

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[गउ डे | तीसरी सौरी संहिता ( अजुपलब्ध) है यह सस्पूर्ण मजुष्यों का इटट सस्पादन करने घाली छे प्रकार की कर्मेसिद्धि को.छे तरह से- कामी (काम - प्रधान लोगों) को बोधन करती है । खतुर्थी संहिता ( भनुपलब्ध ) चेष्णवी है जो मोक्ष देने वाली कही जाती हैं । यह भी चारपादों में है द्विज आदि के लिये साक्षात्‌ ही ब्रह्मस्व- रूपिणी है ये क्रमशः ६ हजार ४ दजार और दो दजार न्छोकों में विभक्त है । फठश्रुतिः-- इस चतुर्वेग ( धर्म मर्थ काम और मोक्ष ) को देने चाले कूम पुराण को जो लोग इन्हें पढते या खुनते हैं सभी को उत्कप्ट गति प्रदान करता है । जो व्यक्ति इसे अचिष्वछ भक्तिपूर्वक लिखकर सोने की कम प्रतिमा चनाकर अयनादि चिशेपपर्च पर योग्य घाह्मण को देता है घह अवश्य ही परम गति को प्राप्त होगा । इस प्रकार हमें उपलब्ध कूर्मपुराण की केवल ब्राह्मीसंहिता हो मिछी है इसे सम्पूर्ण रूप से अचिकल छपाने की माचश्यकता आ बनी है क्योंकि १७ हजार के विशाल अन्थ में केवल एक तिहाई की ही उपलब्धि हुई है । बहुत ग्रन्थ भाण्डारों के अधिकारी चग॑ से सं ही इस विपय में विशेषतया साजु- रोध पत्राचार करने पर भी विशेष सफलता अवतक नहीं मिली है। सभी चिद्वद्वग से इस अपूर् ज्ञान भण्डार को प्रयत्न पूवंक जनता के हित से प्रकाशित हे करने के छिये इस एवं ममीतक प्रकाशित अन्य पुराणों की सम्पूर्ण प्रति के प्राप्त्य्थ सादर निवेदन है । यह पुराण पूर्णरूपेण नाना उपादेय चिपयों से जन मन का चिद्ोप कल्याण कर उन्हें सर्चभूतरिंतेरताः यनाये यहीं हार्दिक कामना हे । झम्थ की आदशेप्रति वडवासी प्रेस सौर एशियादिक सोसाइटी में छपे कर्म पुराण हैं। भविष्य में सभी गुरुमण्डल में प्रकाशित पुराण अन्थों

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