पर्यावरण और आत्म निर्भरता हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Paryavaran Aur Atm Nirbharta Hindi Book Free PDF Download

पर्यावरण और आत्म निर्भरता : योना फ्रीडमन | Paryavaran Aur Atm Nirbharta : Yona Friedman

पर्यावरण और आत्म निर्भरता : योना फ्रीडमन | Paryavaran Aur Atm Nirbharta : Yona Friedman

पर्यावरण और आत्म निर्भरता : योना फ्रीडमन | Paryavaran Aur Atm Nirbharta : Yona Friedman के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पर्यावरण और आत्म निर्भरता है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.6 MB है | पुस्तक में कुल 83 पृष्ठ हैं |नीचे पर्यावरण और आत्म निर्भरता का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पर्यावरण और आत्म निर्भरता पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, Knowledge

Name of the Book is : ENVIRONMENT AND SELF RELIANCE | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2.6 MB | This Book has 83 Pages | The Download link of the book "ENVIRONMENT AND SELF RELIANCE" is given above, you can downlaod ENVIRONMENT AND SELF RELIANCE from the above link for free | ENVIRONMENT AND SELF RELIANCE is posted under following categories children, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 2.6 MB
कुल पृष्ठ : 83

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गाँव के गरीब लोग अपना सकते हैं। केन्द्र ऐसी प्रदर्शनियों को ग्रामीण इलाकों में फैलाना चाहता है।
फेडमाँ का केन्द्र उपलब्ध वैज्ञानिक जानकारी को आम आदमी तक पहुँचाने से पहले उसे सरल कार्टून और शब्दों में बदल देता है। केन्द्र ने तमाम अलग-अलग विषयों पर इस तरह की कार्टून कहानियाँ प्रकाशित की हैं। जैसे पर्यावरण, शिक्षा, खुद बनाओ घर, छोटे बाग-बगीचे, शेल्फों पर उगा भोजन, सूखे से सामना, तूफान की रोकथाम, स्वास्थ्य और पोषण आदि ।
युनाइटेड नेशन्स यूनीवर्सिटी के तत्वावधान में यूर्जीवसिटी आफ सरवाइवल सांइस की स्थापना का महत्वपूर्ण काम भी केन्द्र ने अपने हाथ में लिया है।
शुरूवात में यह शिक्षा सामग्री दीवार पर चिपकाने वाले अखबार/पोस्टर के रूप में थी, जिसको कि थोड़ा सा पढ़ा लिखा इंसाने अपने गाँव के अनपढ़ों को आसानी से पढ़ सके। इस तरीके की मदद से फ्रेडमाँ सबसे कम कीमत पर सबसे अधिक लोगों तक अपनी बात पहुँचाना चाहते थे। वैसे इस शिक्षा सामग्री को अलग-अलग रूपों में बदला जा सकता है। इन्हे कार्टून फिल्मों में बदल कर टेलीविजन के माध्यम से इनका प्रसार किया जा सकता है। इन कार्टून फिल्मों को बनाने की तकनीक सस्ती और सरल हो सकती है जिससे कि अकुशल लोग भी इनको सस्ते उपकरणों से बना सकें । दरअसल, इसी सरल तकनीक के लिए फ्रेडमाँ के केन्द्र को १९६२ के वेनिस फिल्म समारोह में गोल्डेन लायन आफ सेंट मार्क का पुरस्कार मिला। यह कार्टून फिल्में विकास के काम में लगी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के लिए खास तौर पर उपयोगी हैं।
इससे एक बात एक दम स्पष्ट है। यह केन्द्र आम जनता में वैज्ञानिक जानकारी फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है। तमिलनाडू सरकार ने इस केन्द्र की शैक्षणिक सामग्री को साक्षरता के अभियान में और भारत सरकार ने इसे प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया है। कई अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इस सामग्री का उपयोग अपने कार्यक्रमों में किया है।
आपके हाथ में जो पुस्तक है - पर्यावरण और आत्म निर्भरता' - उसमें इस केन्द्र द्वारा प्रकाशित कई मैनुअलों को संकलित किया गया है। ह्यूमन रिसोर्स डेवेलपमेन्ट फाउन्डेशने इसे छाप कर अपने आप को सौभाग्यशाली समझता है। इस पुस्तक का अंग्रेजी संस्करण १९९० में फांस सरकार के पर्यावरण विकास मिशन की आर्थिक सहायता से संभव हुआ था। दोभाषीय संस्करण अकादमी ऑफ गांधीयन स्टडीज़, हैदराबाद की प्रेरणा और वित्तीय सहायता का परिणाम है। हम इनके आभारी हैं।
केन्द्र अब तक तकरीबन ३०० मैनुअल तैयार कर चुका है जिसमें कुछ के संक्षिप्त संस्करण खास तौर पर अखबारों के लिए तैयार किए गये हैं। कई नये मैनुअल तैयार हो रहे हैं। कुछ सालों में केन्द्र कुल ५०० मैनुअल तैयार कर पायेगा। इन सारे मैनुअलों को एकत्र कर एक विशाल इनसाइक्लोपीडिया तैयार हो जाएगा। इसमें जंगल/खेती, छोटे-बगीचों, ऊर्जा, स्वास्थ्य, पौष्टिक भोजन, और उसका रख रखाव, पर्यावरण, जल नियन्त्रण और मकान आदि मुद्दे शरीक होगें।
केन्द्र ने हाल ही में मद्रास में म्यूजियम आफ सिम्पिल टेक्नालाजी की स्थापना की है। इसका उद्देश्य अलग-अलग मैनुअलों में दर्शायी तकनीकों/कुशलताओं को ठोस रूप देना है। म्यूजियम का डिजाइन भी कुछ झोपड़ीनुमा इकाईयों पर आधारित है । बाँस और फूस की इस समुचित तकनीक
हमें विश्वास है कि यह किताब पर्यावरण के संरक्षण के लिये काम कर रहे अनेकों कार्यकर्ताओं के लिए एक उपयोगी संदर्भ पुस्तक साबित होगी। अगर फांउन्डेशन को कोई अनुदान मिला तो वह इस श्रृंखला में अन्य पुस्तकें जैसे घर, स्वास्थ्य और पोषण, जन नियंत्रण, बाग-बगीचे आदि भी छापेगा।

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