पौराणिक इतिहास सार | Pauranik Itihaas Saar

पौराणिक इतिहास सार | Pauranik Itihaas Saar

पौराणिक इतिहास सार | Pauranik Itihaas Saar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पौराणिक इतिहास सार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 40.69 MB है | पुस्तक में कुल 603 पृष्ठ हैं |नीचे पौराणिक इतिहास सार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पौराणिक इतिहास सार पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Pauranik Itihaas Saar | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 40.69 MB | This Book has 603 Pages | The Download link of the book "Pauranik Itihaas Saar " is given above, you can downlaod Pauranik Itihaas Saar from the above link for free | Pauranik Itihaas Saar is posted under following categories history |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 40.69 MB
कुल पृष्ठ : 603

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

ज्ञान से होता है और जो अविद्या से कोई काम कियागया तो फिर उसका पछिताव व्यर्थ है जिस कामना के निमित्त तने तपस्या की वह तुझको प्रातहुई क्योंकि देरी स्वयं इच्छाथी, तब ध्रुव जी बोले वड़े आश्चर्य की बात है कि जो मैं ज्ञानरूपी नेत्रों से अन्धाहुआ और अपने सुझको कूपमें गिरादिया यदि समय आए थे तब मुझ ज्ञानान्ध को उपदेश देकर रोका क्यों नहीं तब विष्णु भगवान् बोले कि मैंने तुझे कुछ भी नहीं दिया जो कुछ तुमको प्राप्त हुआ यह सब तेरी ही इच्छा से मिला अब मैं जाता हूँ |

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.