सिद्धित्रयम | Siddhitrayam के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सिद्धित्रयम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shree Ramanujacharya Shastri | Shree Ramanujacharya Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shree Ramanujacharya Shastri | इस पुस्तक का कुल साइज 87.8 MB है | पुस्तक में कुल 372 पृष्ठ हैं |नीचे सिद्धित्रयम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सिद्धित्रयम पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Siddhitrayam | This Book is written by Shree Ramanujacharya Shastri | To Read and Download More Books written by Shree Ramanujacharya Shastri in Hindi, Please Click : Shree Ramanujacharya Shastri | The size of this book is 87.8 MB | This Book has 372 Pages | The Download link of the book "Siddhitrayam" is given above, you can downlaod Siddhitrayam from the above link for free | Siddhitrayam is posted under following categories dharm |
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एक बार महाभाष्य भट्ट की सन्निधि में जब श्रीमद्यामुनाचार्य व्याकरण शास्त्र का अध्ययन कर रहे थे; उसी समय चोल राज के पुरोहित का दूत विद्याकर वसूलने के लिए श्रीमहाभाष्य भट्ट के समीप आया । उस सम, कर प्रदान करने में असमर्थ श्रीमहाभाष्य भट्ट दुःखी हो गये । यह देखकर श्रीयामुनाचार्य उस पत्र को लेकर पढ़े और उसे फाड़ कर फेंक दिये । दूत के मुख से इस बात को जानकर उस राजपुरोहित ने यह जानने के लिए पुनः दूत को भेजा कि यामुनाचार्य केवल कवि ही हैं दार्शनिक भी हैं उसके उत्तर में यामुनाचार्य ने निम्नाङ्कित श्लोक लिखकर भेज दिया ।