स्वतंत्र चिंतन | Swatantra Chintan

स्वतंत्र चिंतन | Swatantra Chintan

स्वतंत्र चिंतन | Swatantra Chintan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : स्वतंत्र चिंतन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhadant Anand Kausalyayan | Bhadant Anand Kausalyayan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 20.0 MB है | पुस्तक में कुल 227 पृष्ठ हैं |नीचे स्वतंत्र चिंतन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | स्वतंत्र चिंतन पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge

Name of the Book is : Swatantra Chintan | This Book is written by Bhadant Anand Kausalyayan | To Read and Download More Books written by Bhadant Anand Kausalyayan in Hindi, Please Click : | The size of this book is 20.0 MB | This Book has 227 Pages | The Download link of the book "Swatantra Chintan" is given above, you can downlaod Swatantra Chintan from the above link for free | Swatantra Chintan is posted under following categories Knowledge |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 20.0 MB
कुल पृष्ठ : 227

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एक व्याख्याताके रूपमें निस्सन्देह इङ्गरसोलका बहुत ही ऊँचा दर्जा था । किसी समय और किसी भी ऋतुमै उसके श्रोताओसे बड़ेसे बडा हाल भर जाता था । उसके व्याख्यानोसे उसे जो आय होती थी वह संयुक्त राज्य अमरीकाके राष्ट्रपतिकी आयसे दुगनी रहती थी । यह भी अनुमान लगाया गया है कि अपने जीवनके पिछले पचास वर्षोम उसकी आय उसी समयके देशके श्रेष्ठतम बीस व्याख्याताओकी आयसे भी अधिक थी। लेकिन इङ्गरसोलने कभी धन बटोरनेकी चिन्ता नहीं की जिस समय उसका शरीरान्त हुआ उसने अपने पीछे बहुत थोडी-सी जायदाद छोड़ी उसे अपने जीवन-कालमे दूसरोको सुखी बनाना अच्छा लगता था। अनेक हृदयोमे उसकी कृतज्ञतापूर्ण स्मृति ताजा है।

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