पेड़ : एशियन कल्चरल सेंटर फॉर यूनेस्को हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Trees : Asian Cultural Center For Unesco Hindi Book Free PDF Download

पेड़ : एशियन कल्चरल सेंटर फॉर यूनेस्को | Trees : Asian Cultural Center For Unesco

पेड़ : एशियन कल्चरल सेंटर फॉर यूनेस्को  | Trees : Asian Cultural Center For Unesco

पेड़ : एशियन कल्चरल सेंटर फॉर यूनेस्को | Trees : Asian Cultural Center For Unesco के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पेड़ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.6 MB है | पुस्तक में कुल 69 पृष्ठ हैं |नीचे पेड़ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पेड़ पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, Knowledge, science

Name of the Book is : Trees | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3.6 MB | This Book has 69 Pages | The Download link of the book "Trees" is given above, you can downlaod Trees from the above link for free | Trees is posted under following categories children, Knowledge, science |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 3.6 MB
कुल पृष्ठ : 69

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"इलियां मेरे पत्ते खाती हैं, इसलिए चिड़िया मेरी दोस्त हैं। ये तुम्हारी मदद भी करती हैं। तुम्हारी मेड़ों को पर्याप्त मात्रा में पास और पत्ते चिरियों की बदौलत ही खाने को मिलते हैं क्योंकि चिड़िया, पास-परो खाने वाले कीड़ों पर नियंत्रण रखती हैं। पर यह कहानी यहीं पर खत्म नहीं हो जाती ।"
“अच्छी, बरगद दादा, तो आगे?" ।
"जरा अपने पैरों के पास देखो। वहां पी पत्तियां सड़ जाती हैं। केंचुए मिट्टी खोद कर बाहर आते हैं और इन्हें खाते हैं। केंचुओं के द्वारा बनाये गए छटों के अरिए ही मिट्टी में हवा पुसती है। इससे मेरी जड़ें मजबूत होती हैं। मत जड़ों के कारण में खुद गजबूत होती हैं। क्या अब मेरी बात समझ रहे हो?"
"हां, अव में समझ रहा हूँ। मैं आप पर जो हंसा था, उसके लिए माफी चाहता हूं, बरगद दादा।'' ‘कोई बात नहीं। अच्छा, अब तुम अपनी भेड़ों को घर ले जाओ।"
हो सकता है कि इस एक अनुभव से गड़रिए बालक का रामर एकदम खत्म न हुआ हो। परंतु उसने इतना अवश्य सीखा होगा कि हम सब एक-दूसरे के बिना जिंदा नहीं रह सकते।

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