मैं और मेरा भाषा-चिंतन | Main Or Mera Bhasha Chintan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मैं और मेरा भाषा-चिंतन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Amba Prasad | Dr. Amba Prasad की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Amba Prasad | इस पुस्तक का कुल साइज 121.5 MB है | पुस्तक में कुल 478 पृष्ठ हैं |नीचे मैं और मेरा भाषा-चिंतन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मैं और मेरा भाषा-चिंतन पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Main Or Mera Bhasha Chintan | This Book is written by Dr. Amba Prasad | To Read and Download More Books written by Dr. Amba Prasad in Hindi, Please Click : Dr. Amba Prasad | The size of this book is 121.5 MB | This Book has 478 Pages | The Download link of the book "Main Or Mera Bhasha Chintan" is given above, you can downlaod Main Or Mera Bhasha Chintan from the above link for free | Main Or Mera Bhasha Chintan is posted under following categories literature |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
यथास्थान सुमन जी आत्मकथा में मार्मिक प्रसंगों का उद्घाटन करके भावुक स्तर पर पहुँच जाते हैं । अपनी दादी के कर्मठ संघर्षमयी जीवन की कहानी कहतेकहते वे लिखते हैं"दादी की वेश-भूषा दूर से ही बता देती थी कि किसी कुलीन वद्धा के भाग्य में दुर्दैव ने लात मार दी है, अन्यथा यह शरीर विधाता ने मिट्टी ढोने के लिए नहीं बनाया था। इस समय दादी का यह शब्द-चित्र अंकित करते-करते मेरा दिल भारी हो गया है और आँखों से आंसू निकल पड़े हैं। मैं कभी दादी के ऋण से उऋण न हो सकूगा । उसकी ममता के सागर को मैं कभी नाप न सका।