लब्धिसार | Labdhisar

लब्धिसार | Labdhisar

लब्धिसार | Labdhisar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : लब्धिसार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Shri Nemichandra | Acharya Shri Nemichandra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 9 MB है | पुस्तक में कुल 189 पृष्ठ हैं |नीचे लब्धिसार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | लब्धिसार पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Labdhisar | This Book is written by Acharya Shri Nemichandra | To Read and Download More Books written by Acharya Shri Nemichandra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 9 MB | This Book has 189 Pages | The Download link of the book " Labdhisar " is given above, you can downlaod Labdhisar from the above link for free | Labdhisar is posted under following categories dharm |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 9 MB
कुल पृष्ठ : 189

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प्रिय पाठकगण ! आज में श्रीमहावीर प्रभुकी कृपासे आपके सामने यह क्षेपणासार गर्भित लब्धिसार ग्रंथ संस्कृत छाया तथा संक्षिप्त हिंदीभापाटीका सहित उपस्थित करता हूं; जो कि गोमटसारका परिशिष्ट भाग है। गोमटसारके दोनों भागों में जीव और कर्मका स्वरूप विलारसे दिखलाया गया है । तथा इस उक्त ग्रंथमें कमेसेि छूटनेका उपाय विस्तार सहित दिखलाया है । सव कमें मोहनीयकर्म वलवान है, उसमें भी दर्शनमोहनीय जिसका दूसरा नाम मिथ्यात्वकर्म है सबसे अधिक बलवान है । इसी कर्मके मौजूद रहनेसे जीव संसारमे भटकता हुआ दुःख भोगरहा है। यदि यह दर्शनमोहनीयकर्म छूट जावे तो जीव सभी कमसे मुक्त होकर अनन्तमुखमय अपनी स्वाभाविक अवस्थाकोप्राप्त होंसकता है ।

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