सूरज प्रकास भाग – १ | Suraj Prakas Part- 1

सूरज प्रकास भाग – १ | Suraj Prakas Part- 1

सूरज प्रकास भाग – १ | Suraj Prakas Part- 1 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सूरज प्रकास भाग – १ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Achary Jinvijay Muni | Achary Jinvijay Muni की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 12.2 MB है | पुस्तक में कुल 378 पृष्ठ हैं |नीचे सूरज प्रकास भाग – १ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सूरज प्रकास भाग – १ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Granth

Name of the Book is : Suraj Prakas Part- 1 | This Book is written by Achary Jinvijay Muni | To Read and Download More Books written by Achary Jinvijay Muni in Hindi, Please Click : | The size of this book is 12.2 MB | This Book has 378 Pages | The Download link of the book "Suraj Prakas Part- 1 " is given above, you can downlaod Suraj Prakas Part- 1 from the above link for free | Suraj Prakas Part- 1 is posted under following categories Granth |


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पुस्तक का साइज : 12.2 MB
कुल पृष्ठ : 378

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ऐसा कहा जाता है कि महाराजा अभयसिंहजीने अहमदाबाद के युद्ध मे जानेके पूर्व अपने तीन प्रमुख कवियोको युद्ध का वर्णन करनेके हेतु आज्ञा दी थी, जिनमे कविराजा करणीदान, वीरभाण रतनू और वखता खिडिया थे। वीरभाण रतनूने राजरूपक ग्रंथकी रचना की जो ऐतिहासिक दृष्टिसे एक अद्भुत और महत्त्वशाली ग्रंथ है । बखता खिडियाने १६५ छप्पय कवित्तोमे इस युद्ध का वर्णन किया है परतु कविराजा करणीदानने महाराजाके आदेशानुसार अपने इस ग्रथमे। शेर बिलदखॉके साथ युद्ध के वर्णनका ध्येय लेकर महाराजा अभयसिंहजीके पूर्व पुरुषोका भी सक्षिप्त इतिहास दे दिया है, और महाराजा अभयसिहजीके जीवन-वृत्त सम्बन्धी सिर्फ दो घटनाका ही वर्णन किया है जिनमें प्रथम घटना नागोरका युद्ध और दूसरी घटना महाराजा अभयसिहजीका शेर बिलदखाँके साथ अहमदाबाद-विजयको युद्ध है । अहमदाबाद के युद्ध का वर्णन वडे विस्तारके साथ किया गया है एवं इसकी समाप्तिके साथ ही साथ ग्रथ भी समाप्त हो जाता है

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