नन्हा राजकुमार हिंदी पुस्तक | The Little Prince Hindi Book

नन्हा राजकुमार हिंदी पुस्तक | The Little Prince Hindi Book

नन्हा राजकुमार हिंदी पुस्तक | The Little Prince Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 0.81 MB है | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, inspirational

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पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 0.81 MB
कुल पृष्ठ : 33

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मेरे इस विश्वास के कई कारण हैं कि जिस नक्षत्र से वह आया था उसका नाम बी - 612 होगा। उस नक्षत्र को केवल एक बार 1901 में एक तुर्क वैज्ञानिक ने अपनी दूरबीन से देखा था। उसने एक अंतर्रष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी खोज का भव्य प्रदर्शन किया था। पर उसकी पोशाक देखकर उस पर किसी ने विश्वास नहीं किया। वयस्क लोग ऐसे ही होते हैं। बी - 612 के नक्षत्र अच्छे रहे होंगे क्योंकि तुर्की के एक तानाशाह ने शायद इसी घटना के कारण कानून बना दिया कि जो यूरोपीय ढंग के कपड़े नहीं पहनेगा उसे मौत की सजा मिलेगी। उस वैज्ञानिक ने 1920 में फिर प्रदर्शन किया। इस बार उसने अपने को सूट-बूट से सजा रखा था और सबने उसकी बात मान ली थी। वयस्क लोगों के कारण ही मुझे इस नक्षत्र और उसकी संख्या के बारे में इतने विस्तार से बताना पड़ा। बड़े लोगों का संख्याओं में बड़ा विश्वास होता है। उनसे आप किसी नए दोस्त के बारे में बातें करें तो वे कभी कोई सार्थक प्रश्न नहीं पूछेंगे। वे कभी नहीं पूछेंगे उसकी आवाज कैसी है? कौन से खेल खेलता है? तितलियां इकट्ठी करता है? पूछेंगे क्या उम्र है? उसके कितने भाई हैं? उसका वजन कितना है? उसके पिता कितनी तनख्वाह पाते हैं? यही सब जानने में विश्वास होता है उनका। उनसे कहो मैंने गुलाबी ईटों का एक मकान देखा है जिसकी खिड्कियों पर जेरेनियम के फूल लगे हैं छत पर कबूतर गुटर-गूं करते हैं तो वे ऐसे घर की कल्पना भी नहीं कर पायेंगे। उनसे कहना चाहिए मैंने एक लाख की कीमत वाला घर देखा है। झट बोलेंगे कितना सुंदर इसी तरह अगर उनसे कहो नन्हा राजकुमार बहुत आकर्षक था हंसता था एक भेड़ चाहता था और यह उसके होने के लिए - उसके अस्तित्व को साबित करने के लिए काफी है - क्योंकि कोई होगा तभी तो भेड़ मांगेगा तो ये लोग कंधा उचका कर तुम्हें बच्चा समझ लेंगे। लेकिन यदि यह कहा जाए कि जिस ग्रह से वह आया था उसका नाम बी - 612 है तो वह मान जायेंगे। और फिर कोई सवाल नहीं पूछेंगे। ऐसे होते हैं ये लोग उनसे ऐसी ही उम्मीद रखनी चाहिए। बच्चों को बड़े लोगों के प्रति बड़े धैर्य से काम लेना पड़ता है। ठीक ही तो है कि हम लोग जिन्हें जीवन की समझदारी है संख्याओं की परवाह नहीं करते। मुझे यह किस्सा परियों की कहानी की तरह शुरू करना चाहिए था। मुझे कहना चाहिए था एक था नन्हा राजकुमार जो एक ऐसे ग्रह में रहता था जो उससे थोड़ा ही बड़ा था उसे एक दोस्त चाहिए था जो लोग जीवन को समझते हैं उन्हें यह ज्यादा सच लगता है। मैं नहीं चाहता कि कोई मेरी किताब को हंसी में उड़ा दे। मुझे इन यादों को संजोने में कितना दुख हो रहा है। मेरे दोस्त को अपनी भेड़ लेकर गए छः साल हो चुके हैं और मैं इसलिए लिख रहा हूं कि उसे भूलें न। दोस्त को भूलना दुखदायी होता है और सबके दोस्त नहीं होते। मैं भी वयस्कों की तरह हो सकता था - उन्हीं की तरह संख्याप्रिय। इसलिए मैंने रंगीन पेन्सिलें खरीदी थीं। इस उम्र में चित्रकारी फिर से शुरू करना कठिन होता है। विशेषकर जब किसी ने छः साल की उम्र में बस अजगर के चित्र बनाये हों। फिर भी मैं यथासंभव मिलती-जुलती तस्वीरें बनाने की कोशिश करूंगा। वैसे मुझे विश्वास नहीं कि मुझे पूर्ण सफलता मिल पाएगी। राजकुमार से संबंधित चित्र बनाता हूं तो एक ठीक बनता है तो दूसरा बिगड़ जाता है। माप गलत हो जाते हैं। एक जगह राजकुमार छोटा बन जाता है दूसरी जगह बड़ा। उसकी पोशाक के रंगों के बारे में भी हिचकता हूं। इस तरह अच्छे-बुरे चित्र बनाता टटोलता सा आगे बढ़ता रहता हूं। मुझे लगता है कि विवरण संबंधी गलतियां ही हो जाएंगी क्योंकि मेरा दोस्त कभी पूरी बात नहीं बताता था। शायद वह मुझे अपने ही जैसा अक्लमंद समझता था। लेकिन क्या करूं मुझे उसकी तरह बक्से के अंदर भेड़ नहीं दिखाई देती। शायद मैं वयस्क की तरह हो गया हूं - निश्चित ही बड़ा हो रहा हूं। हर दिन मुझे कुछ-न-कुछ पता चलता - कभी ग्रह कभी वहां से प्रस्थान कभी यात्राओं के बारे में। यह सब धीरे-धीरे अनायास हुआ। इसी तरह राजकुमार से मुलाकात के तीसरे दिन मुझे बाओबाब गोरखचिंच नामक पेड के लगातार बढ़ने फैलने और उससे उत्पन्न खतरे के बारे में पता चला - और यह भी भेड़ की ही वजह से क्योंकि उसने मुझसे अचानक इस तरह पूछा जैसे उसे कोई बड़ी शंका हो।

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