पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar Hindi Book Free PDF Download

पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर : पं० शिवप्रसाद पाण्डेय | Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar : Pt. Shiv Prasad Pandey

पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर : पं० शिवप्रसाद पाण्डेय | Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar : Pt. Shiv Prasad Pandey

पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर : पं० शिवप्रसाद पाण्डेय | Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar : Pt. Shiv Prasad Pandey के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shiv Prasad Pandey | Pt. Shiv Prasad Pandey की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.8 MB है | पुस्तक में कुल 66 पृष्ठ हैं |नीचे पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, children, inspirational, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar | This Book is written by Pt. Shiv Prasad Pandey | To Read and Download More Books written by Pt. Shiv Prasad Pandey in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.8 MB | This Book has 66 Pages | The Download link of the book "Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar" is given above, you can downlaod Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar from the above link for free | Pandit Ishwar Chandra Vidhya Sagar is posted under following categories Biography, children, inspirational, Stories, Novels & Plays |

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पुस्तक का साइज : 1.8 MB
कुल पृष्ठ : 66

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विधवाओं के दुख को देख कर विद्यासागर | का कोमल हृदय पिघल जाता था। जब कि
यह कालेज में पढ़ते थे उन्होंने अपने वृद्ध गुम् वाचस्पति की बालिका स्त्री को देखा उस समय इन्होंने इस बुरी प्रथा को समाज से निकालने की दृढ़ प्रतिज्ञा कर ली थी। विद्यासागर ने विधवा विवाह को शास्त्र के अनुसार बताने में कोई भी कसर न रवी । इनकी सच्ची पंडिताई और
आत्मिक-बल का परिचय इस बड़े काम में लगने से | मिलता है । इस कार्य में विद्यासागर को निन्दा
और प्रशंसा, तिरस्कार और पुरस्कार 'अपमान और सम्मान को समान रूप से सामना करना पड़ा। यह ऐसा भारी आन्दोलन था कि अदालत | जज और वकील' मंदिर में पुजारी, बाजार में दुकानदार और सादा लेने वाले घर में स्त्रियाँ जिधर देनो उधर विधवा विवाह की चर्चा कर रहे ।। कोई विद्यासागर को भला और कोई बुरा कहता था। विधवा विवाह के पक्ष का समर्थन और विधवा विवाह को शास्त्रानुकूल साबित

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