भीष्म पितामह | Bheeshma Pitamah

भीष्म पितामह : द्वारिकाप्रसाद शर्मा | Bheeshma Pitamah: Dwarikaprasad Sharma

भीष्म पितामह : द्वारिकाप्रसाद शर्मा | Bheeshma Pitamah: Dwarikaprasad Sharma के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भीष्म पितामह है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dwarikaprasad Sharma | Dwarikaprasad Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10.7 MB है | पुस्तक में कुल 240 पृष्ठ हैं |नीचे भीष्म पितामह का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भीष्म पितामह पुस्तक की श्रेणियां हैं : hindu

Name of the Book is : Bheeshma Pitamah | This Book is written by Dwarikaprasad Sharma | To Read and Download More Books written by Dwarikaprasad Sharma in Hindi, Please Click : | The size of this book is 10.7 MB | This Book has 240 Pages | The Download link of the book "Bheeshma Pitamah" is given above, you can downlaod Bheeshma Pitamah from the above link for free | Bheeshma Pitamah is posted under following categories hindu |


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पुस्तक का साइज : 10.7 MB
कुल पृष्ठ : 240

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| भीष्म-वत्स ! तुमने लोकातीत सामर्थ्य दिखाकर मेरे अंतिम समय में मुझे ठंडा जल पिलाया है। तुम्हारे लिये यह कार्य विचित्र नहीं है। मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हारा कल्याण हो। मैंने दुर्योधन के बारंबार शांतिस्थापन का उपदेश दिया। धर्मवत्स विदुर, प्राचार्य द्रोण, शास्त्रनिष्ठ वासुदेव, सुशोल संजय ने भी इसे बहुत तरह से समझाया, किंतु दुर्बुद्धि दुर्योधन के मन पर इन सब की बात का कुछ भी प्रभाव न पड़ा। उसने वये।बृद्ध और ज्ञानवृद्ध के उपदेश की उपेक्षाकर यह युद्ध ठाना है। अतः इस युद्ध में उसकी अवश्य ही हार होगी ।

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