दस सिख गुरूऒं का संक्षिप्त इतिहास | Das Sikh Guruon Ka Sanchipt Itihaas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : दस सिख गुरूऒं का संक्षिप्त इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 1.89 KB है | पुस्तक में कुल 40 पृष्ठ हैं |नीचे दस सिख गुरूऒं का संक्षिप्त इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दस सिख गुरूऒं का संक्षिप्त इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, history
Name of the Book is : Das Sikh Guruon Ka Sanchipt Itihaas | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 1.89 KB | This Book has 40 Pages | The Download link of the book "Das Sikh Guruon Ka Sanchipt Itihaas" is given above, you can downlaod Das Sikh Guruon Ka Sanchipt Itihaas from the above link for free | Das Sikh Guruon Ka Sanchipt Itihaas is posted under following categories dharm, history |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
पंडित जी की बात सुनकर गुरु जी कहने लगे,पंडित जी, आपने जनेऊ के बहुत से गुण बताएं हैं। पर मुझे कुछ शंका है। आपने कहा कि यह धागा उच्च जाति की निशानी है। पर मैं यह बात नहीं मानत।। उच्च जाति वाला तो वह है जिसने उच्च व नेक कार्य किये हों। पवित्र वह है जिसके कार्य पवित्र हैं। नीच वह है जिसके कार्य नीच व बुरे हैं । अच्छे बुरे कार्य हो ऊ ची-नीची जाति की पक्की निशानी होते हैं । साथ ही यह धागा तो कच्चा है। यह मैला भी हो जायेगा। इसके पश्चात नया घागा डालना पड़ेगा। इस धागे ने किसी। को क्या सम्मान देना है ? वास्तविक सम्मान तो नेक-जीवन व्यतीत करने से ही प्राप्त हो सकता है।